हमारा नियोग : भारतीय पानी में सुरक्षित नेविगेशन
18 मई 2012 को परिवहन भवन, नई दिल्ली में आयोजित दीपस्तंभ केंद्रिय सलाहकार समिति की 85वीं बैठक का कार्यवृत्त
ए. प्रतिभागियों की सूची सलंग्न है।
बी. अध्यक्ष ने सभई प्रतिभागियों का स्वागत किया औऱ कहा कि दीपस्तंभ व दीपपोत महानिदेशालय का कार्य पहले की तुलना में अब ज्यादा दृष्टिगोचर हो रहा है। इसका कारण अनेक परियोजनाएं जैसे कि इंटरएक्टिव और सरविलिएन्स सेवाएं, कच्छ की खाड़ी में पोत यातायात सेवा (वी.टी.एस.), राष्ट्रीय स्वचालित पहचान प्रणाली (एऩएआईएस)। उन्होनें आशा जताई कि बैठक में विचार विमर्श से विभाग को अपने प्रोग्राम व पॉलिसिज़ को और ठीक करने में सफलता मिलेगी। अध्यक्ष ने महानिदेशक को आज की बैठक की कार्यसूची को शुरू करने का अनुरोध किया।
सी. शुरूआत करते हुए महानिदेशक ने सभी प्रतिभागियों का अभिनंदन किया और सूचित किया कि माननीय लोकसभा सदस्य श्री जेसुदासु सिलम, श्री अमीन एम.सिक्कावाला औऱ श्री आर.एम. नेती इस बैठक में भाग नहीं ले पाएंगे। कमिटी ने सभी को अनुपस्थित रहने की आज्ञा दी। इसके बाद महानिदेशक ने कार्यसूची आरंभ की।
डी. कार्यसूची बिंदु न. 1-84वीं दीपस्तंभ केन्द्रीय सलाहकार समिति की बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टी।
ए. महानिदेशक ने सभी सदस्यों को सूचित किया कि 19 अप्रैल 2011 को हुई बैठक के कार्यवृत्त सभी सदस्यों को परिचालित कर दिए थे। किसी सदस्य से कोई फीडबैक नहीं मिला अत: कार्यवृत्त की पुष्टी की गई।
ई. कार्यसूची बिंदु न. 2-84वीं दीपस्तंभ केन्द्रीय सलाहकार समिति की बैठक के कार्यवृत्त पर की गई कार्रवाई।
बिंदु न.-2 पैरा-5.1- सेन्ड हेड में दीपस्तंभ की स्थापना
महानिदेशक ने सूचित किया कि कार्यादेश जारी किया जा चुका है व कार्य के जल्दी होने की संभावना है। महानिदेशक ने आगे कहा कि सेन्ड हेड में इलास्टिक बीकन की स्थापना कोलकाता पत्तन न्यास के अनुरोध पर हुई है। अध्यक्ष ने इसके खर्च के विषय में पुछा। महानिदेशक ने स्पष्ट किया कि इसकी कीमत 37 लाख रुपये है जिसमें बोया बॉडी, चेन व सिंकर इत्यादि है। समिति ने कि गई कार्रवाई को नोट किया।
ए. बिंदु न.-2 पैरा-5.2- कोविलथोथम दीपस्तंभ की स्थानातंरण
महानिदेशक ने सूचित किया कि आई.आऱ.ई.एल व डी.जी.एल.एल के बीच जमीन की अदला-बदली नहीं हो सकी, क्योंकि कानूनी प्रक्रिया के कारण भूमि डी.जी.एल.एल के नाम स्थानातंरित नहीं हो सकी। कोट्टम जिले के जिलाधीश द्वारा भूमि स्थानांतरण का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किय़ा गया। अत: प्रस्ताव को छोड़ दिया गया है औऱ इसको एक अलग कार्यसूची बिंदु के रुप में उठाया गया है। कमिटी ने कि गई कार्रवाई को नोट किया।
बी. बिंदु न.-3 पैरा-6- दीपस्तंभ केंद्रिय सलाहकार समिति की कार्यविधि नियम में संशोधन
ए. महानिदेशक ने सूचित किया कि गैर-सरकारी सदस्यों को छटे वेतन आयोग की संस्तुति के अनुसार टीए/डीए देने के लिए गैजेट नोटिफिकेशन का प्रारूप मंत्रालय को भेज दिया गया है।
बी. महानिदेशक ने यह भी सूचित किया कि पिछली केन्द्रीय सलाहकार समिति की बैठक में यह निर्णय हुआ था कि केंद्रिय सलाहकार समिति में समुद्रीय क्षेत्र से एक डोमेन एक्सपर्ट को नामित किया जाएगा।
एफ. बिंदु न.-5 पैरा-8-कच्छ की खाड़ी में स्थित पागा बोया को अपनी जगह से स्थानांतरित करना
महानिदेशक ने सूचित किया कि समिति की पिछली बैठक में लिये गए निर्णय के अनुसार एक उप-समिति का गठन किया गया था जिसने निम्न संस्तुति के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
(i) पागा बोया यथास्थित ही रहेगी। (ii) एक अतिरिक्त नॉर्थ कार्डिनल बोया अंक्षाश 22⁰ 34.10’ उ ⃘ व 69⁰ 18.35’ पू ⃘ डाला जाए ताकि नाविक मोड़ पर अपने कोर्स को नियंत्रित कर पाएं। (iii) इसके अतिरिक्त वी.एल.सी.सी बोया को नई जगह अंक्षाश 22⁰ 36.20’ उ ⃘ व 69⁰ 16.60’ पू ⃘ स्थानांतरित करें क्योंकि चैनल चौड़ा हो गया है। अत: नई जगह चिन्हित की जाएं।
ए. महानिदेशक ने आगे सूचित किया कि उप-समिति ने सोनार-बोया को निकालने की संस्तुति की है क्योंकि वर्तमान जगह मुंद्रा पत्तन की नई सीमाओं के अंदर है।
बी. महानिदेशक ने सदस्यों से अनुरोध किया कि पागा व सोनार बोया पर उप-समिति की संस्तुति को अनुमोदित करें। समिति ने विचार विमर्श के बाद उप-समिति की संस्तुति को स्वीकार कर लिया।
जी. बिंदु न.-6 पैरा-9-कांडला व कोटेश्वर टावर्स के ऊपर लाइट की स्थापना
महानिदेशक ने यह सूचित किया कि पिछली बैठक में भारतीय तटरक्षक के प्रतिनिधि की राय के अनुसार पागा बोया के लिए गठित उप-समिति को कोटेश्वर लाइट की रेजं कैलीब्रेशन के लिए कहा गया था ताकि लाइट आई.एम.बी.एल के पार न जाएं। उन्होनें कहा कि समिति ने अपनी संस्तुति निम्न दी है। (i) आई.एम.बी.एल कोटेश्वर से 18 समुद्री मील दूर है, 180⁰ से 270⁰ के बीच कोई भी लाइट स्थापित की जा सकती है। (ii) 270⁰ से 90⁰ के बीच एक छोटी लाइट स्थानीय मछुआरों के लिए स्थापित की जा सकती है। (iii) भद्रेश्वर लाइट कांडला एंकरेज़ की आवश्यकता को पूरा करने वाली होनी चाहिए। (iv) इसके अतिरिक्त कांडला टॉवर के ऊपर एक अतिरिक्त लाइट स्थापित की जा सकती है।
महानिदेशक को आगे की कार्रवाई के लिए सलाह देते हुए समिति ने उप-समिति की संस्तुति को स्वीकार कर लिया है।
एच. बिंदु न.-10 पैरा-14 कोई अन्य बिन्दु
महानिदेशक ने सूचित किया कि श्री आमिर खान ने पांडियन थीवू दीपस्तंभ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव दिया था। समिति ने प्रस्ताव को जांचने के लिए महानिदेशक को दिशानिर्देश दिए। महानिदेशक ने समिति को बताया कि उन्होनें प्रस्ताव की जांच कर ली है और पाया कि दूरस्थ व कोल डस्ट प्रदूषण होने के कारण उपरोक्त दीपस्तंभ का विकास संभव नहीं है। कमिटी ने कि गई कार्रवाई को नोट किया।
ए. कार्यसूची मद सं.-3 बारहवी पंचवर्षीय योजना पर विचार विमर्श
महानिदेशक, दीपस्तंभ औऱ दीपपोत महानिदेशालय ने समिति के सदस्यों को अवगत कराया कि बारहवीं पंचवर्षीय योजना की जानकारी सभी को परिचालित कर दी गई है। उन्होनें यह भी अवगत कराया कि प्रस्तावित योजना में 853.50 रु. का परिव्यय सम्मिलित है। इनमें 21 स्पिलओवर योजनाएं सम्मिलित है जिसकी कुल लागत 322 करोड़ रु. है और 26 नई योजनाएं हैं जिनकी लागत 531.50 करोड़ रु. है। समिति ने प्रस्ताव को नोट किया।
आई. कार्यसूची मद सं.-4- गांधीधाम कच्छ (गुजरात) में वीटीएस निदेशालय की स्थापना
महानिदेशक, दीपस्तंभ औऱ दीपपोत महानिदेशालय ने समिति को जानकारी दी कि गांधीधाम कच्छ में वीटीएस की शुरूआत हो चुकी है और यह दिनांक 13 फरवरी 2012 से प्रचालन में है। 68 तकनीकी पदों के सृजन की प्रशासनिक अनुमति प्राप्त हो चुकी है और अधिकतर पद भर लिए गए है। कांडला पत्तन न्यास द्वारा वी.टी.एस निदेशालय भवन के निर्माण हेतु भूमि आवंटित कर दी गई है और निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उप-महानिदेश वी.टी.एस के नियंत्रण में वी.टी.एस निदेशालय होगा और वे 12 वी.टी.एस स्थलों जिनमें 9 रेडार स्टेशन और 3 रिपीटर स्टेशन होंगे, के वे समान्य प्रशासन के प्रभारी होंगे। कच्छ क्षेत्र के दीपस्तंभ औऱ रेडार स्टेशनों सहित दीपस्तंभ उप-महानिदेशक, वी.टी.एस के क्षेत्राधिकार में होंगे। महानिदेशक, दीपस्तंभ औऱ दीपपोत महानिदेशालय ने समिति से अनुरोध किया कि वी.टी.एस निदेशालय जिसका मुख्यालय गांधीधाम में होगा और जिसके अंतर्गत 19 प्रचालन स्टेशन होंगे, की अधिसूचना के प्रस्ताव को अनुमोदित करें। समिति ने गांधीधाम में वी.टी.एस निदेशालय की अधिसूचना के प्रस्ताव पर सहमति जताई।
जे. कार्यसूची मद सं.-5- कच्छ की खाड़ी के लिए डी.जी.एल.एल को वी.टी.एस प्राधिकरण घोषित करना।
महानिदेशक ने कहा कि कच्छ की खाड़ी में वी.टी.एस के संचालन के लिए वी.टी.एस प्राधिकरण की स्थापना करने कि आवश्यकता है। जिसकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय नियमों के व सक्षम प्राधिकरण द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार संचालन से संबंधित निर्णय लेने की जिम्मेदारी होगी। चेयरमैन के पूछने पर महानिदेशक ने कहा कि प्रत्येक पत्तन अपने लिए स्वंय वी.टी.एस प्राधिकरण होंगे औऱ कच्छ की खाड़ी के लिए डी.जी.एल.एल प्राधिकरण होगा। महानिदेशक ने सूचित किया कि सक्षम प्राधिकरण देश में संचालित सभी वी.टी.एस सिस्टम्स के लिए जिम्मेदार होंगे ताकि वे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय नियमों व स्थापित अभ्यासों के अनुसार कार्य करें। भारतीय तटरक्षक के सदस्य ने महानिदेशक के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा कि सभी हवाई अड्डों पर ए.टी.सी. भी हवाई जहाजों के संचालन को नियंत्रित करते है। तथापि इसके लिए नियम व कानून महानिदेशक नागरिक उड्डयन द्वारा बनाए जाते है। ऐसे ही देश मे संपूर्ण वी.टी.एस सिस्टम्स के लिए महानिदेशक नौवहन सक्षम प्राधिकारी हो सकते है। महानिदेशक ने आगे सूचित किया कि कच्छ की खाड़ी के लिए गठित तकनीकी सलाहकार समिति ने एक विस्तृत प्रस्ताव उप-समिति कि रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय को भेज दिया है। चेयरमैन ने उक्त प्रस्ताव पर जल्दी निर्णय की इच्छा दर्शाई।
के. कार्यसूची बिंदू-6- लोकल लाइट्स के लिए गोवा में एक निदेशालय की स्थापना।
महानिदेशक ने कहा कि स्थानीय नौवहन सेवाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर की नहीं पाई गई और उनकी कार्यशैली इच्छित उद्देश्य के अनुसार नहीं थी अत: लोकल लाइट्स को सुधारने/अधिकार में ले लेने के लिए भारत के मुख्य जलसर्वेक्षक की अध्यक्षता में एक उप-समिति का गठन किया गया। महानिदेशक ने मालपे दीपस्तंभ की घटना का वर्णन किया। महानिदेशक ने कहा कि कमेटी ने 21 दीपस्तंभों को अधिकार में लेने के लिए संस्तुति की है; पहले फेज़ में 17 व दूसरे फेज़ में 4, इनमें से 9 दीपस्तंभ 7 पश्चिमी तट व 2 पूर्वी तट से महानिदेशक ने अपने अधिकार में ले लिये है। मुख्य रूप से ज्यादातर दीपस्तंभ पश्चिमी तट पर गोवा क्षेत्र के आप-पास है। महानिदेशक ने अच्छे प्रशासनिक नियंत्रण के लिए गोवा में 1 निदेशालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया। अध्यक्ष के पूछने पर महानिदेशक ने बताया कि इस दीपस्तंभ निदेशालय को मुम्बई निदेशालय का थोड़ा हिस्सा लेकर बनाया जाएगा जिसमें करीब 20 दीपस्तंभ होंगे। महानिदेशक ने आगे कहा कि इस निदेशालय के लिए पदों का सर्जन हो गया है। कुछ सेवाओं को बाहरी स्रोतों से करवा कर निदेशालय का संचालन किया जा सकता है। पुनरावर्ती खर्च के बारे में पूछने पर महानिदेशक ने कहा कि पदों, बाहरी स्रोतों से कार्य करवाना व भवन किराए पर लेने के लिए प्रतिवर्ष 1.32 करोड़ का खर्चा होगा।
ए. अध्यक्ष ने पूछा कि मुम्बई निदेशालय में कितने दीपस्तंभ रह जाएंगे इसके जवाब में महानिदेशक ने कहा कि मुम्बई जिले में 800 कि.मी. के फैलाव में 23 दीपस्तंभ रह जाएंगे।
बी. समिति ने प्रस्ताव को स्वीकार किया।
एल. कार्यसूची सं.-7- नौचालन सहायताओं के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना।
महानिदेशक ने मुम्बई में नौचालन सहायता के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना का महत्व बताते हुए कहा कि यह इस महानिदेशालय की आवश्यकताओं और दूसरे विभाग जैसे महानिदेशक नौवहन, पत्तन, आई.डब्ल्यू.ए.आई इत्यादि की भी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। उन्होनें बताया कि संस्थान में कॉफ्रेंस हॉल, पुस्तकालय, लैक्चर हॉल, धरोहर म्यूजियम आदि की सुविधाएं होगीं। अध्यक्ष ने महानिदेशक के दृष्टिकोण को सराहा औऱ विचार प्रस्तुत किया कि यह एक राष्ट्रीय मेरीटाइम परिसर हो सकता है जिसमें समुद्रीक धरोहर म्यूजिमय भी हो सकता है। अध्यक्ष ने कहा यह राष्ट्रीय संस्थान इस महानिदेशालय के अलावा अन्य विभागों के कर्मियों के लिए भी प्रशिक्षण प्रदान करेगा। तथापि उन्होनें कहा कि स्थान व विचार स्वीकार्य है लेकिन एक नोडल एंजेसी जो दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय भी हो सकता है, के विषय में निर्णय करना है। उन्होनें संयुक्त सचिव को उक्त कार्य के लिए जिसमें नोडल एंजेसी भी है, तौर-तरीके देने के लिए कहा।
एम. कार्यसूची मद सं.-1- शंकरपुर में एक नए दीपस्तंभ की स्थापना
पश्चिमी बंगाल तट पर दीघा के पास शंकरपुर स्थान पर एक दीपस्तंभ स्थापित करने का महत्व महानिदेशक ने समिति को सूचित किया। उन्होनें कहा कि इस दीपस्तंभ की आवश्यकता कोलकाता पत्तन को है, क्योंकि उस क्षेत्र में फिशिगं ट्रॉलर्स सीधे हल्दिया के नेवीगेशन चैनल में आ जाते है। जिससे खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होनें बताया कि यह दीपस्तंभ 30 मीटर ऊंचे कंक्रीट का टावर होगा व इसकी लाइट रेंज 15 समुद्री मील होगी। समिति ने अनुमानित 3 करोड़ के खर्चे के साथ इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी।
एन. कार्यसूची मद सं.-9- गुजरात तट पर भेंट द्वारका में एक नए लाइटिड बीकन की स्थापना।
महानिदेशक ने अनुमानित 50 लाख खर्च के साथ कच्छ की खाड़ी के मुहाने पर ओखा के पास भेंट द्वारका में एक छोटे टापू पर एक लाइटिड बीकन स्थापित करने के लिए समिति को सूचित किया। उन्होनें कहा कि इसकी आवश्यकता भारतीय नौसेना को सरविलियंस गतिविधि के लिए है। उन्होनें आगे कहा कि नजदीक में ही आने वाले पत्तन “पोजिता्” के लिए भी यह उपयोगी होगा। भारत के मुख्य जलसर्वेक्षक ने भी इस लाइट की आवश्यकता पर जोर दिया। 50 लाख अनुमानित लागत के साथ समिति ने उपरोक्त प्रस्ताव को स्वीकार किया।
पी. कार्यसूची मद सं.-10- नौवहन सहायतओं के निरीक्षण व अधिकारियों कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए एक समर्पित जहाज की खरीद
वर्ष 2015 से भारत के तटों पर स्थापित नौवहन सहायताओं के आई.एम.ओ के मेंडेटरी परफॉरमेंस ऑडिट के लिए व नौवहन सहायताओं के रोजमर्रा के निरीक्षण के लिए महानिदेशक ने इन कार्यों के लिए एक समर्पित जहाज की आवश्कता का व्याख्यान किया। उन्होनें कहा कि यह जहाज विभागी अधिकारियों को समुद्री ज्ञान औऱ जहाज पर उपलब्ध अनेक उपकरणों को समझने के लिए उपयोग में आयेगा। अध्यक्ष के एक प्रश्न के जवाब में महानिदेशक ने कहा कि इस जहाज का उपयोग बी.एस.सी (समुद्री विज्ञान) प्रशिक्षुकों औऱ भारतीय नौवहन विश्वविद्यालय से स्नातक होने वाले प्रशिक्षुकों के लिए भी प्रयोग हो सकेगा। अध्यक्ष ने महानिदेशक के दृष्टिकोण को सराहा औऱ कहा कि वर्तमान में इस तरह के जहाजों की बहुत कमी है और प्रस्तावित जहाज आवश्यक समुद्री प्रशिक्षण के लिए बहुत मददगार होगी जो बदले में बेरोजगारी को दूर करने में सहायता करेगा औऱ नौवहन उद्योग में प्रशिक्षित कर्मियों की पूर्ति करने में बढ़ावा देगा। महानिदेशक ने आगे सूचित किया कि बी.एस.सी (समुद्री विज्ञान) के एक समय में 10-15 प्रशिक्षुकों की आवश्यकता पूर्ति करेगा। भारत के मुख्य जलसर्वेक्षक ने सुझाव दिया कि इस तरह कि प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए भारतीय नैसेना व भारतीय तटरक्षक के जहाजों को प्रयोग करने की संभावनाओं को भी खंगाला जा सकता है। महानिदेशक ने सुझाव दिया क्योंकि इस तरह कि प्रशिक्षण की अवधि ज्यादा लंबी होती है अत: भारतीय नैसेना व भारतीय तटरक्षक इतनी लंबी अवधि के लिए अपने जहाजों को नहीं दे पाएंगे। विस्तृत विचार विमर्श के बाद समिति ने महानिदेशालय का प्रस्ताव अनुमानित राशि 202 करोड़ के साथ स्वीकार किया।
ए. अध्यक्ष ने महानिदेशक को कोच्चि शपियार्ड, जहां निदेशालय का जहाज बन रहा है, में सुविधाओं को खंगालने की सलाह दी।
क्यू. कार्यसूची मद स.-11- कोविलथोट्टम दीपस्तंभ के विस्थापित के प्रस्ताव को छोड़ना
महानिदेशक ने सूचित किया कि मालाबार तट पर स्थित कोविलथोट्टम दीपस्तंभ को विस्थापित करने का प्रस्ताव 82वीं बैठक में प्रस्तुत किया गया था। क्योंकि समुद्र के तट के कटाव व दीपस्तंभ के पास इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आई.आर.ई.एल) के द्वारा की जा रही समुद्र तल की खुदाई औऱ माइनिंग कार्यकलापों से दीपस्तंभ को नुकसान हो सकता है। इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आई.आर.ई.एल) इस दीपस्तंभ को अपने खर्चे पर एक उपयुक्त जगह पर विस्थापित करने के लिए तैयार थे। तथापि कानूनी बाधाओं के चलते इस स्थान की जगहों की अदला-बदली संभव नहीं हो पाएगी। उपरोक्त को देखते हुए कोविलथोट्टम दीपस्तंभ को विस्थापित करने का प्रस्ताव छोड़ दिया जाता है। समिति ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
आर. कार्यसूची मद.स.-12- जाफराबाद दीपस्तंभ टावर का पुर्निर्माण
महानिदेशक ने सूचित किया कि जाफराबाद दीपस्तंभ का निर्माण 1876 में हुआ और इसने 136 वर्ष सेवा में पूरे होने से इसका उपयोगी जीवन समाप्त हो गया है। उन्होनें आगे कहा कि टावर में जगह-जगह ऐसे चिन्ह दिख रहे थे जो सामान्य रखरखाव से ठीक नहीं हो सकते। इसलिए महानिदेशक ने इस दीपस्तंभ को नए दीपस्तंभ से बदलने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। 2 करोड़ की अनुमानित लागत पर समिति ने इस दीपस्तंभ के पुर्निर्माण का प्रस्ताव स्वीकार किया।
एस. कार्यसूची मद सं.-13- वलियाझिक्कल में नए दीपस्तंभ की स्थापना
महानिदेशक ने समिति को सूचित किया कि महानिदेशालय का एक मुख्य उद्देश्य भारतीय समुद्री तट पर लाइट्स की एक अखंड कवरेज़ देना है। इसी उद्देश्य से कोविलथोट्टम औऱ अलेपी दीपस्तंभों के बीच में वलियाझिक्कल दीपस्तंभ की स्थापना का प्रस्ताव 3 करोड़ की अनुमानित लागत पर किय़ा गया है। अध्यक्ष के यह पूछे जाने पर कि भविष्य में महानिदेशालय और कितने दीपस्तंभ बनाने की योजना बना रहा है, महानिदेशक ने उत्तर दिया कि निदेशालय ने अपना लक्ष्य लगभग प्राप्त कर लिया। भविष्य में 10 से 15 दीपस्तंभों की स्थापना होगी और उसके बाद आवश्यकतानुसार। उन्होनें आगे बताया कि लाइट्स 30 मीटर की आर.सी.सी टावर पर स्थापित होंगी जिसकी रेंज 15 समद्री मील होगी। कमेटी ने 3 करोड़ की अनुमानित लागत पर प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
टी. कार्यसूची मद सं.-14- कोच्चि में थोट्टापल्ली में छोटे लाइटिड बीकन की स्थापना
महानिदेशक ने समिति को सूचित किया कि थोट्टापल्ली में मछली पकड़ने वाले समुदाय बहुत दिनों से एक लाइटिड बीकन की मांग कर रहा था। उन्होनें आगे कहा कि केरला तट पर मछुआरों के ऊपर गोलीबारी से यह औऱ आवश्यक हो गया है। उन्होनें समिति को सूचित किया कि स्थानीय समुदाय जमीन देने के लिए तैयार है अगर स्वीकार्य हो तो गुजरात तट से एक अनुपयोगी ढांचे को स्थानांतरण कर इस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। 0.50 करोड़ की अनुमानित लागत पर कमेटी ने उपरोक्त प्रस्ताव को स्वीकार्य किया।
यू. कार्यसूची मद सं.-15- दीपस्तंभों पर बुनियादी ढांचे में सुधार।
कीटिंग पांइट दीपस्तंभ के लिए पहुँच सड़क- महानिदेशक ने समिति को बताया कि निदेशालय का परिसर तट के साथ फैला हुआ है औऱ वर्तमान सामाजिक-आर्थिक वातावरण में अपनी संपत्ति को सुरक्षित करना आवश्यक है। क्योंकि निकट भविष्य में कई जगहों पर अतिक्रमण देखा गया है। उन्होनें कहा कि अंडमान निकोबार में स्थित कीटिंग पांइट दीपस्तंभ 2004 सूनामी में पूरी तरह विध्वंश हो गया था औऱ पहले का रास्ता पूरी तरह नष्ट हो गया था। इसलिए अब 3 कि.मी. लंबी मुख्य सड़क से स्टेशन तक अनुमानित राशि 2.025 करोड़ के खर्च पर एक पहुंच रोड बनाने का प्रस्ताव है। अध्यक्ष के पूछने पर कि कार्य को कैसे निष्पादित करेंगे, तो महानिदेशक ने सूचित किया कि सामान्यत इस तरह के दूर-दराज स्थानों पर विभाग द्वारा कार्य निष्पादित होता है लेकिन इस मामले में ए.पी.डब्ल्यू.डी सड़क निर्माण के लिए तैयार हो गए है औऱ उन्ही के अनुमान के अनुसार ही उक्त प्रस्ताव बनाया गया है। 2.025 करोड़ की लागत पर समिति ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
सैक्रोमैंटो दीपस्तंभ पर पहुंच सड़क- महानिदेशक ने सूचित किया कि आंध्र प्रदेश तट पर दूर-दराज क्षेत्र में स्थित सैक्रोमैंटो दीपस्तंभ है। यहां पहले एक खाड़ी को पार करके जाना पड़ता है अब पुल बन गए है इसलिए पास के गांव से 500 मी. लंबी पहुंच सड़क बनाने का प्रस्ताव है। उन्होनें सूचित किया कि इस प्रस्ताव पर अनुमानित 69 लाख रु. खर्च होगें। समिति ने प्रस्ताव स्वीकार किया।
फॉल्स पांइट, बालासुर व कड़ालुर पांइट दीपस्तंभ परिसरों की चारदीवारी- महानिदेशक ने सूचित किया कि फॉल्स पांइट पर 26 एकड़ जमीन, बालासुर में लगभग 34 एकड़ औऱ कड़ालुर पांइट पर 29.36 एकड़ जमीन है। इन संप्तियों को अतिक्रमण से सुरक्षित करना आवश्यक है। उन्होनें समिति को आगे सूचित किया कि कड़लूर पांइट व फॉल्स पांइट को पर्यटन के लिए विकसित किया जा रहा है। बालासुर में जमीन कस्बे के बीच में है औऱ स्टेशन एन.ए.आई.एस का बेस स्टेशन है। इसी जगह पर नेवटेक्स का स्टेशन स्थापित हो रहा है तथा भविष्य में ई-लोरेन स्थापित करने का प्रस्ताव है अत: इनको सुरक्षित करना आवश्यक है। अध्यक्ष ने पूछा कि 2.03 करोड़ का अनुमानित खर्च अधिक है। महानिदेशक ने सूचित किया कि तीनों जगह कि चार दीवारी की कुल लम्बाई 3711 मीटर है औऱ फाल्स पांइट साइट बहुत दूर-दराज क्षेत्र में है जहां यातायात खर्च अधिक होगा अत: अनुमानित लागत ठीक है। महानिदेशक ने तीनों प्रस्तावों को अनुमोदित करने का अनुरोध किया, चर्चा के बाद समिति ने स्वीकार किया। (i) फॉल्स पांइट पर 49 लाख की लागत पर चार दीवारी का निर्माण (ii) बालासुर पर 78 लाख की लागत पर चार दीवारी का निर्माण (iii) कड़ालुर पर 76 लाख की लागत पर चार दीवारी का निर्माण।
वी. कार्यसूची मद सं.- 16- पूंजीगत कार्यों की प्रगति
महानिदेशक ने पूंजीगत कार्यों की प्रगति का ब्यौरा दिया जिस समिति ने नोट कर लिया है।
ए. प्रगति की समीक्षा करते हुए अध्यक्ष ने पूछा कि रावा दीपस्तंभ का कार्य देरी से हो रहा है, इसपर महानिदेशक ने सूचित किया कि यह परियोजना शोध आधारित है जिसमें आई.आई.टी चेन्नई सलाहकार है औऱ एफ.आर.पी टावर के लिए एक सही रेसिन का कार्य प्रयोगात्मक स्तर पर है। महानिदेशक ने आगे कहा कि इस वित्तीय वर्ष में परियोजना को पूरा कर लिया जाएगा।
बी. अध्यक्ष ने मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर लगने वाले ट्रांसपॉडर की प्रगति के बार में पूछा, महानिदेशक ने सूचित किय कि निविदाएं बुलाई गई है और यह प्रक्रिया समाप्त होने को है। समय के विषय में अध्यक्ष को बताया गया कि पाइलेट प्रोजेक्च मार्च 2013 में पूरी होने की संभावना है। अध्यक्ष ने कहा कि परियोजना को प्राथमिकता पर लेना चाहिए। औऱ इसको कम से कम समय में लगभग चार महीने में पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
डब्ल्यू. कार्यसूची मद सं.-17-महानिदेशालय की वित्तीय समीक्षा
महानिदेशक ने समिति को निदेशालय की वित्तिय स्थिति के बारे में सूचित किया। समिति ने उसको नोट किया। कोई औऱ बिंदु न होने की स्थिति में धन्यवाद प्रस्ताव के साथ बैठक समाप्त हुई।