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विश्वव्यापी रूप से दीपस्तंभ अब संभावित तौर पर पर्यटकों का आकर्षण बना हुआ है, खासकर तटरेखीय क्षेत्र जो इसे प्राकृतिक मनोहर परिदृश्य बनाते है। इसके अलावा भी कुछ दीपस्तंभ अपनी ऐतिहासिक संरचनाओं या स्थलों रूप में भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए है। इसी कारण कई देश इन दीपस्तंभों का पर्यटन स्थलों के तौर पर प्रचार कर रहे है औऱ पर्यटकों के लिए सुविधाओं को भी बढ़ा रहे है। इसी तरह, महानिदेशालय एंव पोत परिवहन मंत्रालय भारत में दीपस्तंभों पर पर्यटकों के विकास हेतु महत्वाकांक्षी परियोजना को विकसित करने का प्रस्ताव कर रहे है जो वैकल्पिक उपयोग हेतु मौजूदा दीपस्तंभ सुविधाओं को पुन: जीवित कर देगा। इस परियोजना में दुनिया भर के इसी तरह के परियोजना घटकों में दीपस्तंभों के विकास की परिकल्पना की गई है। दीपस्तंभ आधारित पर्यटन के विकास को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:
इस संबंध में महानिदेशालय ने भारत में पर्यटन के प्रचार हेतु 13 दीपस्तंभों को निर्धारित किया है, जिनकी सूची नीचे दी गई है:
टेबल 1-डीजीएलएल द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित दीपस्तंभ
ऐतिहासिक दीपस्तंभों की मौजूदगी पूरे विश्व से पर्यटको को आकर्षित कर सकती है। पर्यटक यहां के विशालदर्शी शानदार दृष्य को देखकर आंनद ले सकते है। दीपस्तंभ का सबसे ऊपरी स्थान यदि यह लोगों के लिए खोला जाए तो, यहां से नज़ारा और भी शानदार लगता है, । विश्व में दीपस्तंभों का पर्यटन अभी विकास की शुरूआती स्तर पर है। हांलाकि अब सरकारें वैश्विक स्तर पर इसके विकास की महत्ता को समझ रही है औऱ इसकी अदृश्य संभावना को बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रही है। वें ऐतिहासिक दीपस्तंभों को आम लोगों के लिए खोल रही है औऱ इन्हें पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने का प्रयास कर रही है। इन दीपस्तंभों को बाहरी और स्थानीय पर्यटकों के लिए आकर्षित बनाने के पीछे कई लाभ शामिल है जैसे सरकारी राजस्व के स्रोतों का बढ़ना, स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार का बढ़ना, सामानों और सेवाओं की खरीद से व्यापार का बढ़ना, होटलों और सरायों की मांग में वृद्धि होना, स्थानीय परिवहन जैसे बस या स्कूटरों आदि की मांग बढ़ना औऱ खाना, भोजनालयों आदि की मांग बढ़ना शामिल है। स्थानीय/स्थान से अभिप्राय वे स्थान है जहां निदेशालय दीपस्तंभों में पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बना रहे है।
चेन्नई दीपस्तंभ
चेन्नई ऐतिहासिक इमारतों/स्थलों, लंबे-लंबे समुद्री बालू तटों, सांस्कतिक कला केंद्रों एंव उद्यमों आदि के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर बड़े-बड़े कला केंद्रों, संगीत एंव नृत्य के लिए प्राचीन काल से प्रसिद्ध है। हर वर्ष माह दिसम्बर-जनवरी में विभिन्न कलाकारों द्वारा संगीत सत्र का आयोजन किया जाता है। यह त्यौहार देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। चेन्नई शहर शिक्षा/चिकित्सा की दृष्टि से पर्यटकों के लिए श्रेष्ठ स्थल है।
महाबलीपुरम दीपस्तंभ
महाबलीपुरम, तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम जिले में बसा एक प्रसिद्ध कस्बा है। महाबलीपुरम दक्षिण भारत में पल्लव कला और वास्तुकला का छट्ठी शताब्दी के मध्य से केन्द्र रहा है औऱ यह ईसा युग की शुरूआत से बंदरगाह भी है। यह चेन्नई शहर से लगभग 50 कि.मी. दूर दक्षिण में स्थित है। यह कस्बा तमिलनाडु में आने वाले पर्यटको का प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र बन गया है। यह कस्बा इसके लम्बे समुद्रतट, शिवालयों, चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं और एक पत्थर पर तराशी गई रैदास और बेस-रिलिफ की कलाकृति के लिए भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त महाबलीपुरम यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर साइट है। महाबलीपुरम को इसके स्मारक, मूर्तियों, समुद्रीतट औऱ चट्टानों की कटाई की वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। इस कस्बे में कुछ प्रसिद्ध ढांचे है जिनमें अर्जुन की तपस्या, वराह गुफा मंदिरस तटीय मंदिर, पंच रथ, थिरुकरमलाई (भगवान विष्णु का मंदिर) आदि प्रमुख है। यह कस्बा अपनी प्राचीन संस्कृति और प्राकृतिक खदानों, चट्टानों को काटकर की गई वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है जो स्थानीय और विदेशी नागरिकों को अपनी ओऱ आकर्षित करती है। इस कस्बे को पर्यटन विभाग ने पैंतालीस महापर्यटन स्थल के रुप में पहचान दिलाई है। इसके अलावा महाबलीपुरम बहुसंस्था में मंदिरों और महाभारत की घटनाओं पर चरितार्थ मंदिरों का कस्बा है। ये मंदिर चट्टानों को काटकर की गई वास्तुकला का प्रदर्शन करते है। ऊपर लिखित विकास यात्रा यूनेस्को की सास्कृंतिक धरोहर में वर्णित है।
रामेश्वरम् दीपस्तंभ
रामेश्वरम् कस्बा तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। ये कस्बा मनार की खाड़ी में व भारतीय प्रायद्वीप के बिंदु पर स्थित है। यह कस्बा पमबेन द्वीप पर स्थित हैं जो भारत की मुख्य भूमि से पमबेन चैनल द्वारा अगल हो गया है और श्रीलंका के मन्नार द्वीप से 50 कि.मी. दूर है। पमबेन द्वीप रामेश्वरम द्वीप का भी हिस्सा है जो पमबेन पुल के द्वारा जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त यह पमबेन पुल के ऊपर रेलवे लाइन से भी जुड़ा हुआ है। इस पुल को इंदिरा गांधी पुल भी कहते है। इसका निर्माण 1986 में हुआ तथा इसकी सम्बाई 2.2 कि.मी है जो भारत में किसी खाड़ी पर बनाया गया सबसे लंबा पुल है। समुद्र के रास्ते जहाजों को जाने के लिए यह पुल खोल दिया जाता है।
रामेश्वरम् दक्षिणी भारत में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है तथा एक छोटे से टापू पर मन्नार की खाड़ी में स्थित है। यह मुख्य भूमि से सड़क व रेलवे द्वारा पमबेन पुल से जुड़ा हुआ है। यह शैविकों व वैष्णवों दोनों के लिए पवित्र स्थान है। ऐसा माना जाता है कि श्रीलंका से लौटते समय भगवान राम ने यहां पूजा की थी। कस्बे में स्थित रामानाथस्वामी मंदिर अति शानदार दरवाजों व भारी भरकम स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर परिसर में 22 पवित्र कुएं हैं जो सभी पवित्र नदियों का प्रतीक रूप है।
अपनी धार्मिक महत्ता के कारण अनेक देशी व विदेशी पर्यटक यहां आते है। तीर्थाटन के अतिरिक्त रामेश्वरम् में बहुत से पिकनिक स्थल भी है। यहां ओलेमकुडा, धनुषकोड़ी व पमबन के सुंदर समुद्री बालूतट है। ओलेमकुडा समुद्री तट मुख्य मंदिर से 1 कि.मी की दूरी पर स्थित है तथा यहां का समुद्री किनारा कोरल रीफ का बनाया है। यहां के समुद्री तट पर्यटकों के बीच स्कूबा गोते के लिए भी लोकप्रिय हो रहे है। सर्दी के दिनों में फलेमिगोस सी गुलस औऱ अनेक प्रकार के प्रवासी पक्षी आते है। कुछ वर्षों से यह स्थान परम्परावादी तीर्थाटन से अलग पर्यटन स्थल के रुप में विकसित हो रहा है। यहां आने वाले दर्शनार्थी तीर्थाटन से आनंदाययक पर्यटक में तबदील हो रहे है। तथापि यहां के पर्यटन का बड़ा हिस्सा तीर्थयात्रियों का ही रहा है। इस बदलाव के कारण यहां होटल तथा अन्य सुविधाओं का भी विकास हो रहा है।
कन्याकुमारी दीपस्तंभ
तमिलनाडु राज्य में कन्याकुमारी जिले में कन्या कुमारी कस्बा स्थित है। यह भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणतम भाग में स्थित है। कन्याकुमारी तमिलनाडु में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है औऱ अपने लम्बे तटों के लिए जाना जाता है। जहां से सूर्योदय व सूर्यास्त देखा जा सकता है। कन्याकुमारी अपनी भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति के कारण विलक्षण है। भारतीय उपमहाद्वीप की दक्षिणतम किनारा होने के कारण यह तीन समुद्रों अरब सागर, बंगाल की खाड़ी व हिन्द महासागर का मिलन स्थल व त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है। कन्याकुमारी भारत के पूर्वी व पश्चिम भूमि के फैलाव का मिलन बिन्दु है। यहां समुद्र तट की भूमि की बनावट में एक विशेषता महसूस की जा सकती है। तट की ढलान पश्चिम किनारे की तरह ज्यादा है। कन्याकुमारी तट के पास समुद्री द्वीप की चौड़ाई केवल एक किलोमीटर से भी कम है जो पश्चिम घाट के ढलान को दर्शाता है।
मुत्तम दीपस्तंभ
मुत्तम दीपस्तंभ तटवर्ती कन्याकुमारी जिले में स्थित है। यह पश्चिम में कन्याकुमारी शहर से लगभग 35 कि.मी. औऱ दक्षिण में नागरकोल कस्बे से 16 कि.मी औऱ तिरूवंतपुरम से 7 कि.मी. पर स्थित है। इस गांव में मुख्य रुप से असमान इलाके है तथा यहां की मिट्टी लाल है। मुत्तम वर्तमान में लगभग 200 परिवारों का निवास है और स्थानीय आबादी का बहुमत मछली पकड़ने औऱ अन्य संबंधित गतिविधियों में शामिल रहता है। अर्थव्यवस्था मुख्य रुप से मछली पकड़ने से संबंधित है। वहां की पहचान असंगठित आवासिय विकास की उपस्थिति औऱ कुछ सामाजिक बुनियादी ढांचे जैसे शिक्षण संस्थान, अस्पताल आदि है।
कड़ालूर पॉइंट दीपस्तंभ
अपने उष्णकटिबंधीय मौसम व सदा हरे भरे पर्यावरण के कारण केरल राज्य पर्यटको का प्रिय गन्तव्य स्थल है। “ गोडस आन कन्ट्ररी” के नाम से प्रचारित यह राज्य धार्मिक स्थल, बैंक वॉटर, समुद्री बालू तट व जंगली जानवरों की शरणस्थली के कारण जाना जाता हैं तथा यहां भारत का छटा सबसे बड़ा पर्यटन उद्योग है।
उत्तरी केरल के सबसे बड़े कस्बे कोड़ीकोड़ शहर से 31 कि.मी पर कड़ालूर पॉइंट दीपस्तंभ है। कोड़ीकोड़ शहर केरल का तीसरा सबसे बड़ा शहर व दूसरा सबसे बड़ा मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 26.13 लाख है। यह शहर राज्य की राजधानी तिरूवंतपुरम से 434 कि.मी व कोच्चि राज्य की आर्थिक राजधानी से 215 कि.मी दूर है। कोड़ीकोड़ राज्य का व उत्तरी केरल का एक मुख्य व्यापारिक शहर है, जो रेल, वायु व सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है। यह शहर अपनी इतिहास, संस्कृति व व्यापारिक गतिविधि समुद्री, बालु तट, बैंक वॉटर व प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। मध्य युग में कोड़ीकोड़ को “सीटी ऑफ स्पाइसेस ” कहा जाता है। इस शहर का भारतीय इतिहास में विशेष स्थान है क्योंकि 1498 में इस शहर से उत्तर में 10 कि.मी दूर “कप्पड” में वास्कोडिगामा उतरा था जिन्होंने भारत के लिए सुमद्री मार्ग की खोज की। स्थानीय अर्थव्यवस्था में प्रदेश के बाहर रह रहे नागरिकों द्वारा भेजे गए धन का भी काफी महत्व है।
अगुआड़ा दीपस्तंभ
अपने समुद्री तटों व प्रकृतिक सौंदर्य के कारण गोवा राज्य भारत में एक मुख्य पर्यटन स्थल है। गोवा में अनेक पुरातत्वीय, ऐतिहासिक, वाटर स्पोर्ट के लिए सुंदर समुद्री तट, सांस्कृतिक केंद्र व धार्मिक स्थल है जो गोवा को पर्यटन के लिए लोकप्रिय बनाते हैं। आज पर्यटन राज्य की एक मुख्य आर्थिक गतिविधि है।
दीपस्तंभ उत्तरी गोवा के कैंडोलिम कस्बे के पास स्थित है। जो मपुसा जिले के वादरेज़ ताल्लुका में स्थित है। कैंडोलिम बीच राज्य का बहुत बड़ा बीच है। कैंडोलिम बीच के दक्षिण में सिकेरियम बीच है जो राज्य की राजधानी पनजी से 13 कि.मी. दूर है औऱ जो अपने वाटर स्पोर्ट्स के लिए जानी जाती है। प्रसिद्ध पांच सितारा होलट जैसे की ताज़ हॉलिडे विलेज़, रिजॉर्ट औऱ ववन्ता वाई ताज बीच के किनारे स्थित है। अगुआड़ा के पूर्व में कोको बीच अपने वाटर स्पोर्ट्स, डॉलफिन्स देखने के लिए बोट ट्रिप, अगुआड़ा फोर्ट को देखने के लिए ट्रिप व केन्द्रीय कारागार आदि के लिए जाना जाता है। कैंडोलिम पंचायत की आर्थिक गतिविधि समुद्री तटों पर पर्यटन द्वारा ही है। सुविधाओं के विकास के साथ-साथ भविष्य में पर्यटकों के आने में वृद्धि होना निश्चित है।
डोलफिन्स नोज दीपस्तंभ
डोलफिन्स नोज दीपस्तंभ आंध्र प्रदेश राज्य के विशाखापट्टनम जिले के शहरी क्षेत्र की सीमा में स्थित है। विशाखापट्टनम पूर्वी समुद्री तटीय एंव बंगाल की खाड़ी के पास प्राथमिक दृष्टि से एक बड़ा पत्तन है। विशाखापट्टनम आंध्रा प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है और पर्यटकों, प्राकृतिक समुद्री पत्तन औऱ लंबा समुद्री तट के कारण प्रसिद्ध है।
चंद्रभागा दीपस्तंभ
उड़ीसा राज्य में पर्यटकों के आकर्षण के लिए अनेक स्थान जैसे कि संस्कृतिक धरोहर स्मृति चिन्ह, समुद्री बालुतट, मनोरम प्राकृतिक दृश्यों, विशाल झीलों औऱ अनुण्मीय समुद्रतल आदि आकर्षण के केंद्र है।
चंद्रभागा दीपस्तंभ यूनेस्को द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रिय धरोहर कोर्णाक सूर्य मंदिर के नज़दीक स्थित है। कोर्णाक पुरी-भुवनेश्वर-कोर्णाक सरकीट का एक हिस्सा है। जहां अनेक पर्यटक आते है जिसे उड़ीसा का त्रिकोणीय स्वर्णीम पर्यटक सरकीट भी कहते है। तीनों स्थान एक-दूसरे से 50-70 कि.मी. दूरी पर स्थित है। इसके निकट अनेक मुख्य स्थान है। पुरी चार धोमों में से हिंदुओं का एक मुख्य धाम है। एक तीर्थस्थल होने के साथ-2 पुरी का समुद्र तट एक मुख्य पर्यटक स्थल है जिसकी लम्बाई लगभग 5 कि.मी. है। कोर्णाक विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर और चंद्रभागा समुद्री तट के लिए जाना जाता है। कोर्णाक पुरी शहर से 35 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और यह पुरी जिले का एक छोटा शहर है। यहां यूनेस्को द्वारा घोषित भारत की 28 अंतरराष्ट्रिय धरोहरों में एक तेरहवीं शताब्दी का सूर्य मंदिर स्थित है।
गोपालपुर दीपस्तंभ
गोपालपुर दीपस्तंभ, गोपालपुर बीच के पास स्थित है। जो उड़ीसा में पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। गोपालपुर (जिसे गोपालपुर-ऑन-सी भी कहा जाता है।) उड़ीसा राज्य के गंजम जिले का एक कस्बा है। इसके उत्तर में नयागढ़ व खुर्द जिले है, दक्षिण में गजापति जिला, पश्चिम में कंधामल और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। यह स्थान बरहमपुर से 16 कि.मी. दूर, राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र औऱ भुवनेश्वर से 177 कि.मी. दूर है।
फाल्स पाइंट दीपस्तंभ
फाल्स पांइट दीपस्तंभ सांस्कृतिक धरोहर दीपस्तंभ है, यह पैरादीप शहर से 16 कि.मी. दूर स्थित है। पैरादीप में बहुत सारी उद्योग गतिविधियां प्रारंभ हो रही है। यह उड़ीसा राज्य के जगतसिंह पुर जिला में स्थित एक मुख्य बंदरगाह कस्बा है। यह उत्तर के केंद्रपाडा जिला, दक्षिण के पुरी जिला, पश्चिम के कटक व जाजपुर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। बड़े औद्योगिक घरानों जैसे इस्सा स्टील, पैरादीप फोसफेट, आई.ओ.सी, इफको, यूनाइटिड स्प्रिट, कारगिल, कार्बन (कोयला कम्पनी), बी.पी.सी.एल, एच.पी.सी.एल इत्यादि की उपस्थिति के कारण पैरादीप एक औद्योगिक दृष्टि से मुख्य कस्बा है।
पैरादीप बंदरगाह के कारण इस्सार स्टील ने अपने उद्योग यहां पर लगाएं है। इंडियन ऑइल रिफाइनरी व पॉस्को उद्योग निर्माणाधीन है। पैरादीप भारत में एक मुख्य पूंजी निवेश के केंद्र के रूप में उभर रहा है। यहां अनेक स्टील प्लांट्स जिसमें पॉस्को का एक 12 बिलियन का उद्योग भी शामिल है। पैरादीप कैमिकल्स व पैट्रो कैमिकल्स क्षेत्र के रूप में उभर रहा है।
द्वारका दीपस्तंभ
पौराणिक शहर द्वारका भगवान कृष्ण का रहने का स्थान व मोक्ष का द्वार समझा जाता है। यह शहर दक्षिण में गोमती नदी, पश्चिम में अरब सागर, उत्तर व पूर्व दिशाओं में बलुवा पत्थरों से घिरा हुआ है। द्वारका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही टिकी हुई है क्योंकि प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पवित्र शहर में आते है इन श्रद्धालुओं की आवश्यकता पूर्ति के लिए शहर में सस्ते होटल औऱ खाने की दुकाने है। इसके अतिरिक्त द्वारका के चारों तरह उद्योग गतिविधियों में ओखा बंदरगाह 30 कि.मी. पैट्रिलियम की कम्पनी जैसे कि रिलायंस इंडस्ट्री, इस्सा ऑयल, गुजरात स्टेट फर्टीलाइजर कारपॉरेशन व टाटा केमिकल्स (मीठापुर) इत्यादि है।
वेरावल दीपस्तंभ
वेरावल शहर गुजरात शहर के जूनागढ़ जिले में स्थित है व देश के मुख्य धार्मिक स्थल सोमनाथ मंदिर से 6-7 कि.मी. दूर है। वेरावल जूनागढ़ के नवाब के अधीन एक किलेबन्द शहर था। नवाबी संस्कृति के चिन्ह अभी भी नवाबी किला व नवाबी गेट के भगनावषेश से पता चलते है। भौगोलिक स्थित से वेरावल अपने लम्बे समुद्री बालू तटों के लिए जाना जाता है जिनका अभी विकास नहीं हुआ है। वेरावल की आर्थिक गतिविधि यहां के मछली पकड़ने के बड़े बंदरगाह के रूप में है। यहां समुद्री भोजन को संसाधित करने की कई फैक्ट्रियां वेरावल जी.आई.डी.सी.2 में है। इसके अतिरिक्त वेरावल में रेयान बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी स्थित है, आदित्य बिरला नुयो लिमिटेड (पहले इंडीयन रेयान इंडस्ट्री के नाम से जानी जाती थी)। शहर अन्य कंपनियों जैसे कि गुजरात अंबुजा सीमेंट लिमिटेड, गुजरात सिद्धी सीमेंट लिमिटेड, गुजरात हैवी कैमिकल्स लिमिटेड इत्यादि।
मिनिकोय दीपस्तंभ
मिनिकोय स्थानीय नाम से मलिकू के नाम से जाना जाता है। यह दीपस्तंभ केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा है। यह पहले मालद्वीप का हिस्सा था। मिनिकोय लक्ष्यद्वीप क्षृंखला का दक्षिणतम हिस्सा है। इसका क्षेत्रफल 4.8 स्केयर मीटर का है औऱ लम्बाई 10 कि.मी. है। लक्ष्यद्वीप के अन्य द्वीपों की तुलना में इसकी संस्कृति भिन्न है। इनका खाना व जीवन शैली मालद्वीप से मिलती-जुलती है। यहां धीवेही भाषा बोली जाती है जो दाएं से बाएं ओर लिखी जाती है।